
वैदिक साहित्य
वैदिक साहित्य प्राचीन इतिहास का महत्वपूर्ण भाग है | वैदिक साहित्य में चार वेद तथा उनकी सहिंताओं जैसे आरण्यक , उपनिषद , वेदांत आदि को शामिल किया जाता है | वेद का अर्थ होता है ज्ञान , वेदों को दुनिया का प्रथम ग्रन्थ माना गया है , इन्हें अपौरुषेय भी कहा जाता है
वेदों की संख्या चार है |
ऋग्वेद –
वेदों में सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है यह वैदिक साहित्य का सबसे पहला वेद है | इसका रचना क्षेत्र सप्त सैन्धव प्रदेश है ऋग्वेद में 10 मंडल ,1028 श्लोक (1017 सूक्त ,11 वालखिल्य ), 10462 मंत्र हैं |
ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता को समर्पित गायत्री मंत्र का उल्लेख मिलता है लोगों को आर्य बनाने के लिए विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की |
ऋग्वेद के चौथे मंडल में कृषि का उल्लेख मिलता है|
ऋग्वेद के सातवे मंडल में दसराज युद्ध का वर्णन मिलता है |
नौवे मंडल में सोम देवता की जानकारी मिलती है |
ऋग्वेद के दसवे मंडल के पुरुष सूक्त में चार वर्णों ( ब्राह्मण , क्षत्रीय , वैश्य , शूद्र ) का उल्लेख मिलता है |
अस्तो माँ सद् गमय वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है |
पहला और दसवाँ मंडल बाद में (उत्तरवैदिक काल) में जोड़े गये थे , दो से सात मंडलों को वंश मंडल कहा जाता है ये प्राचीनतम मंडल माने गये हैं |
ऋग्वेद का पाठ करने वाले ब्राह्मणों /ऋत्विज को होतृ कहा जाता था | इसका उपवेद आयुर्वेद है जिसके रचयिता प्रजापति हैं ऐतरेय ब्राह्मण तथा कौषितकी ब्राहम्ण ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रन्थ हैं |
यजुर्वेद
यजुर्वेद की उत्पत्ति यजुष शब्द से हुई है जिसका अर्थ यज्ञ से है यजुर्वेद में यज्ञ तथा धार्मिक कर्मकांड को प्रधान बताया गया है इसका पाठ करने वाले ब्राह्मण तथा ऋत्विज अर्ध्व्यु कहलाते थे | इसका उपवेद धनुर्वेद है जिसके रचयिता विश्वामित्र हैं | तैतरीय ब्राह्मण तथा शतपथ ब्राह्मण इसके ब्राह्मण ग्रन्थ हैं |
यजुर्वेद गद्ध और पद्ध दोनों में लिखा गया है
यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद | कृष्ण यजुर्वेद की चार शाखाएं हैं मैत्रायणी सहिंता , काठक सहिंता , कपिन्थल सहिंता तथा शुक्ल यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं मध्यांदीन सहिंता , कण्व सहिंता , इसमें 40 अध्याय है |
सामवेद
सामवेद का अर्थ गान से है सामवेद को संगीत का जनक माना जाता है इसमें गायी जाने वाली रिचाओं का संकलन है सामवेद में 1549 ऋचाएं हैं जिनमे से 75 मूल हैं बांकी ऋग्वेद से ली गयी हैं सामवेद में 1810 मंत्र हैं रिचाओं का गान करने वाले ब्राह्मण उदगाता कहलाते थे , सामवेद का उपवेद गंधर्ववेद है इसके रचयिता भरत मुनि है , पंचवीश एवं जैमिनी सामवेद के ब्राह्मण ग्रन्थ हैं |
अथर्ववेद
यह वैदिक साहित्य का चौथा अथवा आखिरी वेद है | अथर्व शब्द का तात्पर्य जादू – टोना से है | अथर्ववेद की रचना अथर्व ऋषि ने की थी |इस वेद में रोग निवारण , राजभक्ति , विवाह , प्रेम , वशीकरण तथा अन्धविश्वासों का वर्णन है | अथर्व वेद में 20 अध्याय तथा उनमे 5687 मन्त्र हैं | अथर्ववेद में ऋत्विज नही था लेकिन इसमें प्रधान ऋत्विज होता था जो ब्रह्म कहलाता था |अथर्ववेद का उपवेद शिल्पवेद है इसके रचयिता विश्वकर्मा हैं ,गोपथ इसका ब्राह्मण ग्रन्थ है |
आरण्यक
आरण्यक वैदिक साहित्य का भाग है ये दार्शनिक ग्रन्थ है जिनके विषय हैं – आत्मा , परमात्मा , जन्म , मृत्यु , पुनर्जन्म | आरण्यक “आरण्य” शब्द से बना है जिसका अर्थ है जंगल | ये ग्रन्थ जंगल के शांत वातावरण में लिखे जाते हैं तथा जंगल में ही इनका अध्ययन किया जाता है | आरण्यक ज्ञानमार्ग तथा कर्ममार्ग के बीच सेतु का कम करते हैं | वर्तमान में सात आरण्यक उपलब्ध हैं |
वेदांग
वेदांग वैदिक साहित्य का भाग है , वेदांग की संख्या 6 है – शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरूक्त , छंद , ज्योतिष | वेदों का अर्थ समझने व सूक्तियों के सही उच्चारण करने के लिए वेदांग की रचना की गयी है | अष्टाध्यायी व्याकरण ग्रन्थ की रचना पाणिनी ने की थी |
उपनिषद
वैदिक साहित्य का एक भाग उपनिषद का शाब्दिक अर्थ उड़ विद्या से है जो गुरु के पास बैठकर ली जाती है |उपनिषद की संख्या 108 है ये दर्शन से सम्बंधित है | उपनिषद को वेदांत भी कहते हैं क्योकि ये वैदिक साहित्य का अंतिम भाग है | “सत्यमेव जयते” मुंडोकोपनिषद से लिया गया है |
प्रमुख दर्शन एवं उनके प्रवर्तक
सांख्य – कपिल चार्वाक – चार्वाक
योग – पतंजलि पूर्व मीमांसा – जैमिनी
वैशेषिक – कणाद उत्तर मीमांसा – बादरायण
न्याय – गौतम
पुराण
पुराणों की संख्या 18 है इनके रचयिता लोमहर्ष एवं उग्रश्रवा हैं इनमें मुख्य है -मत्स्य , विष्णु , वायु , नारद | इनमें से सबसे पुराना पुराण मत्स्य पुराण है जिसमें भगवान विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख है | विष्णु पुराण से मौर्य वंश तथा वायु पुराण से गुप्त वंश की जानकारी मिलती है |
महाकाव्य
इनकी संख्या 2 है – रामायण , महाभारत | रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है तथा महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की है | रामायण को सहस्त्री सहिंता भी कहा जाता है , महाभारत को जयसहिंता तथा सत सहस्त्री सहिंता भी कहा जाता है |
इनमें समाज के नियम बताये गये हैं कुछ मुख्य स्मृति हैं – मनु स्मृति , याज्ञवल्क्य स्मृति , गौतम स्मृति , नारद स्मृति , विष्णु स्मृति आदि | मनु स्मृति सबसे पुरानी स्मृति है |
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