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Home » रासायनिक बलगतिकी – अभिक्रिया की दर | कोटि | आणविकता | तात्क्षणिक वेग | शून्य कोटि

रासायनिक बलगतिकी – अभिक्रिया की दर | कोटि | आणविकता | तात्क्षणिक वेग | शून्य कोटि

January 7, 2023 by admin Leave a Comment

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रासायनिक बलगतिकी कक्षा 12

रासायनिक बलगतिकी कक्षा 12 रसायन विज्ञान का पाठ है इस पेज में हम रासायनिक अभिक्रिया की दर,अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक,अभिक्रिया की कोटि,तात्क्षणिक वेग,वेग नियम या वेग समीकरण,अभिक्रिया की आणविकता,शून्य कोटि की अभिक्रिया आदि भाग समझाए गये है |

रासायनिक बलगतिकी कक्षा 12 – अभिक्रिया की दर

जब दो या दो से अधिक क्रियाकरक आपस मे क्रिया करके किसी उत्प्रेरक की उपस्थिति में क्रियाफल मे बदल जाते है अभिक्रिया कहलाती है इसमे बनने वाले क्रियाफलों के गुण अभिक्रिया में भाग लेने वाले क्रियाकरको के गुणों से भिन्न होते है

कोई भी अभिक्रिया एक निश्चित गति से चलती है जबकि कुछ मंद अभिक्रिया होती है तो कुछ तीव्र अभिक्रिया होती है अतः किसी रासायनिक अभिक्रिया मे अभिकारकों की मात्रा का क्रियाफलों मे बदलने मे लगा समय अभिक्रिया की दर है अभिकारक जितनी देर मे या जल्दी क्रियाफल मे बदल जाएँ उसे उस अभिक्रिया की दर कहते है

अभिक्रिया की दर = क्रियाफलो की सांद्रता मे परिवर्तन / समय

  • ठोस अवस्था
  • विलियन

अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने बाले कारक

सांद्रता -अभिकारकों की सांद्रता अधिक होने पर अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है विलयन मे विलायक कम और विलेय की मात्रा अधिक होने पर विलयन मे आयनो की संख्या बढ़ जाएगी अतः सांद्रता बढ़ जाएगी और अभिक्रिया की दर तेज हो जाएगी इसके विपरीत सांद्रता कम होने पर अभिक्रिया की दर कम हो जाती है

उत्प्रेरक -उत्प्रेरक की उपस्थिति मे अभिक्रिया की दर प्रभावित होती है दर घट भी सकती है और बड़ भी सकती है यह उत्प्रेरक की प्रकति पर निर्भर करता है ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को कम करते है जबकि धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ाते है

तापमान – तापमान बढ़ने पर अभिक्रिया की दर भी बढ़ने लगती है किन्तु एक निश्चित तापमान से अधिक होने पर अभिक्रिया की दर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है

पृष्ठीय क्षेत्रफल – अभिक्रिया के अभिकारकों के आयनो के मध्य पृष्ठीय क्षेत्रफल जितना कम होगा अभिक्रिया की दर उतनी ही अधिक होंगी कियोकि अभिकारकों के अणु जितना पास मे होंगे उतना जल्दी आपस मे टकराएंगे और अभिक्रिया तीव्र हो जाएगी

तात्क्षणिक वेग किसे कहते है ? उदाहरण

तात्क्षणिक वेग – तात्क्षणिक शब्द का अर्थ होता है तत्काल मतलब अल्प समय इस प्रकार कहा जा सकता है की अति कम समय मे किसी वस्तु का वेग ही तात्क्षणिक वेग कहलाता है |
दुसरे शब्दों मे कह सकते है की कोई वस्तु गति मे है और हमने उसे देखा तो जिस समय उसे देखा उस अल्प समय का वेग ही उस वस्तु का तात्क्षणिक वेग कहलाता है|
यहाँ t=0 ही माना जाता है मतलब समय अत्यंत कम है
उदाहरण –
तात्क्षणिक वेग =(±C/t)limit t=0
= ±dc/dt
उदाहरण -Naoh +hcl = nacl +H2o

  • d(naoh )/dt -d(hcl )/dt =+d(nacl )/dt +d(H2o)/dt

वेग नियम या वेग समीकरण या वेग व्यंजक –

वेग नियम स्पष्ट करता है की अभिक्रिया का वेग किसी भी अभिक्रिया मे भाग लेने वाले क्रियाकरको की सांद्रता पर निर्भर करता है

हम कह सकते है की अभिक्रिया का वेग क्रियाकरको की सांद्रता के गुणनफल के समानुपाती होता है

निम्न समीकरण से समझते है
N1A+N2B – उत्पाद
अभिक्रिया वेग =[An1][Bn2]
=k[An1][Bn2]
जहाँ k=वेग स्थिरांक है

उदाहरण – H2so4 +2Nacl =Na2so4+2Hcl
[H2so4][2Nacl ]

वेग स्थिरांक की इकाई — वेग स्थिरांक की इकाई अभिक्रिया वेग पर निर्भर करती है
माना की क्रियाकरको की सांद्रता 2mol -1 है

तब इकाई निम्न प्रकार ज्ञात करते है
K= अभिक्रिया वेग [A]n1[B] n2
K=(mol/l)-1(n1+n2)×1/sec.

अभिक्रिया की कोटि

जब दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में क्रिया करके एक या एक से अधिक उत्पाद बनाते है वह अभिक्रिया कहलाती है |
और इस अभिक्रिया में भाग लेने वाले क्रियाकरको की सांद्रता में जो परिवर्तन देखने को मिलता है उसे उस अभिक्रिया की कोटि कहते है |

इसे निम्न समीकरण से प्रदर्शित करते है k=[A] n[B]
जहाँ K = वेग स्थरांक
[A]और [B] क्रियाकरको की सांद्रता है
उदाहरण-

निम्न समीकरण के लिए अभिक्रिया की कोटि ज्ञात कीजिये

  1. K=[A]1/4[B]2/4
    अभिक्रिया की कोटि =1/4+2/4=3/4
  2. K=[A]3/4[B]-1/2
    अभिक्रिया की कोटि =3/2-1/4= 1/2
  3. K=[A]2/2[B]3/4
    अभिक्रिया की कोटि = 2/2+3/4=7/4
    अभिक्रिया की कोटि शून्य भी हो सकती है भिन्न भी हो सकती है और पूर्णांक भी हो सकती है

अभिक्रिया की आणविकता

किसी भी अभिक्रिया में अभिकारक आपस में क्रिया करते है ये अभिकारक अणुओ परमाणुओं और आयनो से मिलकर बनते है और ये सब आपस में मिलकर अभिक्रिया को आगे बढ़ाते है अभिकारकों की परमाणुओं अणुओ और आयनो की संख्या के कुल योग को उस अभिक्रिया की आणविकता कहते है |
अभिकारकों के सभी परमाणुओं अणुओ और आयनो की संख्या का योग अभिक्रिया के दौरान बनने बाले उत्पाद के आयनो परमाणुओं और अणुओ की संख्या के योग के बराबर होता है
अभिक्रिया कई प्रकार की होती है |
एक अणुक अभिक्रिया -वह अभिक्रिया जिसमे केवल एक अणु भाग लेता है वह अभिक्रिया एक अणुक अभिक्रिया कहलाती है जैसे –
Nacl = Na+ +cl-
द्विअणुक अभिक्रिया -वह अभिक्रिया जिसमे दो अणु भाग लेते है द्विअणुक अभिक्रिया कहलाती है जैसे –
NaoH + Hcl = nacl + H2O
त्रिअणुक अभिक्रिया -वह अभिक्रिया जिसमे तीन अणु भाग लेते है त्रिअणुक अभिक्रिया कहलाती है जैसे –
H2SO4 +2NA =NA2SO4+H2

शून्य कोटि की अभिक्रिया क्या है ?

शून्य कोटि की अभिक्रिया -वह अभिक्रिया जिसमे क्रियाकरको की सांद्रता का सम्बन्ध अभिक्रिया वेग से नहीं होता शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है
इसे शून्य कोटि की अभिक्रिया इसलिए कहते है कियोकि जो क्रियाकरक अभिक्रिया मे भाग लेते है उनकी सांद्रता
का प्रभाव अभिक्रिया के वेग पर नहीं पड़ता
इसप्रकार पता चलता है की अभिक्रिया का वेग नियत है यानि अभिक्रिया एक निश्चित वेग से चल रही वेग मे कोई उतार चढ़ाव नहीं है इसलिए यह एक शून्य कोटि अभिक्रिया है
इसे निम्न उदाहरण से समझते है

उदाहरण
Naoh +hcl -nacl +H2o

दर k=[Naoh ]^0+[Hcl]^0=k
जहाँ k = स्थिरांक है

6CO2+6H2O — C6H12O6+6O2
K=[CO2]0 [H2O]0=0
अर्थात सभी प्रकाश की उपस्थिति मे होने वाली अभिक्रिया शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है

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Filed Under: Chemistry, रासायनिक बलगतिकी Tagged With: रसायन विज्ञान कक्षा 12th, रासायनिक बलगतिकी

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