पराबैंगनी किरणें को उत्सर्जित करने वाले लैम्पों के बल्ब क्वार्ट्ज के क्यों बनाए जाते हैं ?

आज के इस टॉपिक में हम समझेंगे की पराबैंगनी किरणों को उत्सर्जित करने वाले लैम्पों के बल्ब क्वार्ट्ज के क्यों बनाए जाते हैं कांच के क्यों नही बनाए जाते है | इसके बाद हम बात करेंगे की ये पराबैंगनी किरणें क्या होती है इनके क्या – क्या Source होते है तथा इनके क्या क्या फायदे और क्या क्या नुकसान होते है इनके क्या क्या गुण होते है और पराबैंगनी किरणों के क्या क्या उपयोग होते है इन सभी बातों को हम विस्तार पूर्वक समझेंगे तो सबसे पहले शुरुआत करते है की पराबैंगनी किरणों को उत्सर्जित करने वाले लैम्पों के बल्ब क्वार्ट्ज के क्यों बनाए जाते हैं |
ऐसा नहीं है की ये पराबैंगनी किरणें हमेशा ही नुकसान करती है इनके बहुत सारे फायदे भी होते है जहा इन किरणों का उपयोग किया जाता है वहा पर पराबैंगनी किरणों को एक माध्यम से दूसरे माध्यम तक भेजा जाता है अर्थात इसके लिए पराबैंगनी किरणें उत्सर्जित करने वाले बल्ब का उपयोग किया जाता है लेकिन अब जब हम इन किरणों का उपयोग कर रहे है तो हम यही चाहेंगे की ये किरणें इन बल्ब से बाहर आए
लेकिन कांच इन किरणों को अवशोषित कर लेता है और बल्ब से बाहर नहीं आने देता है इसलिए कांच की जगह क्वार्ट्ज का उपयोग किया जाता है जो की इन पराबैंगनी किरणों को अवशोषित नहीं करता है और इनको उपयोग के लिए बल्ब से बाहर आने देता है इसलिए पराबैंगनी किरणों को उत्सर्जित करने वाले लैम्पों के बल्ब क्वार्ट्ज के बनाए जाते हैं और कांच के नहीं बनाए जाते है |
पराबैंगनी किरणों की परिभाषा
ये ऐसी किरणें होती है जो सूर्य से उत्सर्जित होकर सूर्य के प्रकाश के साथ पृथ्वी तक पहुंचती है या फिर इनको किसी अन्य Source के द्वारा भी तैयार किया जा सकता है लेकिन सूर्य तथा पृथ्वी के बिच ओजोन परत होती है जो इन किरणों को पृथ्वी पर पहुँचने से रोकती है | ज्यादातर यह सूर्य से उत्सर्जित विकिरण का ही भाग होती है जिनके कुछ नुकसान भी होते है और कुछ फायदे भी होते है जिनके बारे में आगे बात करेंगे | ये किरणें अलग अलग प्रकार की होती है जैसे की –
1 . UVA किरणें – ये सबसे कम उर्जा वाली पराबैंगनी किरणें होती है जो की त्वचा की कोशिकाओ और उनके DNA को नुकसान पहुंचा सकती है | ये काफी लम्बे समय तक शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है अर्थात इनका असर ज्यादा समय तक रहता है |
2 . UVB किरणें – इनकी उर्जा थोड़ी सी UVA किरणों की तुलना में ज्यादा होती है जो की कई तरह की त्वचा सम्बन्धी बिमारियों के लिए उत्तरदायी होती है जिनमे त्वचा केंसर प्रमुख बीमारी है |
3 . UVC किरणें – इनकी उर्जा सबसे ज्यादा होती है UVA किरणें और UVB किरणें की तुलना में लेकिन ये वायुमंडल को पार करके नहीं आती है और पृथ्वी पर पहुँचने वाली किरणों में इस प्रकार की UVC किरणें नहीं होती है इसलिए ये किरणें किसी भी प्रकार के त्वचा केंसर के लिए उत्तरदायी नहीं होती है |
इस प्रकार ये अलग अलग प्रकार की पराबैंगनी किरणें होती है |
पराबैंगनी किरणों के गुण
इन किरणों के निम्नलिखित गुण होते है जैसे की –
1 . ये किरणें प्रकाश विद्युत प्रभाव उत्पन्न करती है |
2 . ये किरणें गेसों को आयनित करने का काम करती है |
3 . रासायनिक परिवर्तन के लिए ये किरणें बहुत ज्यादा सक्रीय होती है इसलिए इनका उपयोग कीटाणुओं को मारने के लिए किया जाता है |
4 . ये किरणें प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती है |
5 . ये पराबैंगनी किरणें फोटोग्राफिक प्लेट को भी प्रभावित करती है |
इस प्रकार इनके गुण होते है | अब हम समझते है इनके उपयोग के बारे में की इन किरणों के क्या क्या उपयोग होते है |
पराबैंगनी किरणों के उपयोग
ये किरणें हमारे लिए कई प्रकार से उपयोगी भी होती है और इनके कई प्रकार के फायदे भी होते है जिनमे से कुछ इस प्रकार है –
1 . इनका सबसे बड़ा फायदा तो यही है की ये हमें विटामिन D प्राप्त करवाती है जो की हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है जिससे हड्डियाँ मजबूत होती है और इससे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बडती है |
2 . इनका उपयोग कई प्रकार की वैज्ञानिक खोज के लिए किया जाता है |
3 . इनका उपयोग करके कीटाणुओं को खत्म किया जा सकता है |
4 . ये किरणें कुछ छोटे जिव जन्तुओ को देखने के लिए भी मदद करती है |
5 . ये किरणें हवा को शुद्ध करने के लिए भी उपयोगी होती है |
आदि
इस प्रकार कई जगह पर इन पराबैगनी किरणों के उपयोग होते है और ये किरणें बहुत से फायदे भी करती है |
पराबैंगनी किरणों के नुकसान
अब हम समझेंगे की इन किरणों से कोन – कोन से नुकसान होते है जैसे की –
1 . ये किरणें सबसे ज्यादा नुकसान दायक त्वचा के लिए ही होती है क्योंकि जब भी त्वचा इन किरणों के संपर्क में आती है तो त्वचा झुर्रियों दार एव रुखी होने लगती है अगर ज्यादा समय तक इन किरणों के संपर्क में रहे तो त्वचा का रंग भी बदल जाता है तथा इसके अलावा त्वचा केंसर का खतरा भी बढता है |
2 . ये किरणें आँखों के लिए भी काफी नुकसान दायक होती है इनके संपर्क से आँखों में जलन होना और आँखों के देखने की क्षमता का कम होना जैसे रोग हो सकते है इसके अलावा मोतियाबिंद की Problem भी हो सकती है |
3 . ये किरणें पोधो एव जलीय जीवो के लिए भी नुकसान पहुंचाती है इनके कारण पोधो की गति रुक जाती है तथा उनका वृद्धि और विकास रुक जाता है |
4 . ये पराबैंगनी किरणें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित करती है |
इस प्रकार इन पराबैंगनी किरणों के बहुत से नुकसान भी होते है |
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