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Home » डाप्‍लर प्रभाव क्‍या है। परिभाषा । सूत्र।सीमाएंं ।उपयाेेग।

डाप्‍लर प्रभाव क्‍या है। परिभाषा । सूत्र।सीमाएंं ।उपयाेेग।

March 4, 2022 by Dev Leave a Comment

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डाप्‍लर प्रभव किसे कहते हैै उदाहरण देकर समझाइये तथा इसके उपयोग बताइये।

दोस्‍तो इस लेख मे हम ध्‍वनि तरंगो की एक विशेष घटना डाप्‍लर प्रभाव के बारे मे जानेगे ।तथा उसकी सीमाए सूत्र तथा उचित उदाहरण देकर आपको इससे संबधित जितने भी प्रश्‍न परीक्षा मे बन सकते उन सभी को देखेगे ।

डाप्‍लर  प्रभाव

डाप्‍लर प्रभाव को सर्वप्रथम आस्ट्रिया के भौतिक विज्ञानी क्रिस्‍चयन जोहान डॉप्‍लर ने 1842 ईसवी मे प्रस्‍तुत किया था ।

इनके अनुसार

जब किसी ध्‍वनि स्‍त्रोत और श्रोता के बीच आपेक्षिक गति होती है तो श्रोता को ध्‍वनि स्‍त्रोत की वास्‍ततिक आव्रत्ति बदलती हुयी प्रतीत होती है ।

इस घटना को डाप्‍लर प्रभाव कहा जाता है।

जब स्रोत एवम श्रोता के मध्य सापेक्ष गति होती है तो श्रोता को सुनाई देने वाली ध्वनि की आवर्ती वास्तविक आवर्ती से भिन्न होती है स्रोत एवं श्रोता के मध्य दूरी घटने पर आवर्ती बढ़ती हुई एवं दोनों के मध्य दूरी बढ़ने पर आवर्ती घटती हुई प्रतीत होती है इस प्रकार स्रोत एवं श्रोता के मध्य सापेक्ष गति के कारण आभासी आवर्ती में परिवर्तन होना ही डॉप्लर प्रभाव कहलाता है

डॉप्लर प्रभाव नहीं होगा यदि-

  1. यदि स्रोत एवं श्रोता दोनों एक समान चाल से एक ही दिशा में गति कर रहे हैं
  2. यदि स्रोत किसी वृत्त के केंद्र पर है और श्रोता वृत्त के चारों ओर एक समान चाल से चक्कर लगा रहा है
  3. यदि स्रोत एवं श्रोता दोनों विश्राम पर है और केवल वायु का प्रवाह हो रहा है
  4. यदि sound स्रोत तथा श्रोता का वेग ध्वनि के वेग से अधिक है और डॉप्लर प्रभाव लागू नहीं होता
  5. यदि स्रोत एवं श्रोता में आपेक्षिक गति ना हो तो माध्यम के वेग श्रोता द्वारा सुनाए जा रही आवर्ती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

डाप्‍लर प्रभाव ध्‍वनि , प्रकाश तथा जल तरंगो आदि मे देखा जा सकता है ।

डाप्‍लर प्रभाव की सीमाऐ

  • जब ध्‍वनि स्‍त्रोत और श्रोता के बीच होने वाली आपेक्षिक गति के कारण श्रोता और ध्‍वनि स्त्रोत के बीच की दूरी बढ रही होती है तो ध्‍वनि की आव्रत्ति कम होती हुयी प्रतीत होती है।
  • जब ध्‍वनि स्‍त्रोत और श्रोता के बीच आपेक्षिक गति के कारण ध्‍वनि स्‍त्रोत और श्रोता के बीच की दूरी घट रही हो तो ध्‍वनि की आभाषी आव्रत्ति बढती हुयी प्रतीत होती है।

नीचे दिया गया सूत्र से हम श्रोता द्वारा प्राप्‍त तरंग और ध्‍वनि स्‍त्रोत  की वास्‍ततिक आव्रतियों के मध्‍य संम्‍बन्‍ध बता सकते है

आभाषी आव्रत्ति =(प्रेक्षक के सापेक्ष ध्‍वनि का वेग)/(स्त्रोत  के सापेक्ष ध्‍वनि का वेग ×वास्‍ततिक आव्र‍त्ति )

डाप्‍लर प्रभाव के उदाहरण

  • डाप्‍लर प्रभाव के कारण ही जब हमे स्‍टेशन पर आती हुयी ट्रेन की शीटी की आवाज बढती हुयी आव्रत्ति (अधिक आव्रत्ति) की सुनाई देती है जबकि जब ट्रेन स्‍टेशन से दूर की तरफ जाती है तो वही आवाज की आव्रत्ति हमे घटती हुई प्रतीत होती है।यह सब कुछ डाप्‍लर के प्रभाव के कारण होता है ।
  • प्रकाश मे भी डाप्‍लर के प्रभाव के आधार पर हम ग्रहो तथा गैलेक्सियो ,तारो के बारे मे बता सकते है कि कोई गैलेक्‍सी earth से कितनी दूर जा रही है ।

डाप्‍लर प्रभाव के उपयोग

  • डाप्‍लर प्रभाव के  कारण तारो सितारो का वेग ज्ञात किया जाता है ।
  • डाप्‍लर प्रभाव के कारण ट्रैफिक पुलिस वाहनो की गति का पता लगा सकती है कि कोई व्‍यक्ति कितने वेग से बाहन चला रहा है
  • डाप्‍लर प्रभाव के आधार पर ही सर्वप्रथम वैज्ञानिक हब्‍बल ने बताया कि विश्‍व का प्रसार हो रहा है।तथा सभी आकाशीय पिंड एक दूसरे से दूर जा रहे है।
  • बिग बैंग सिद्धांत की व्‍याख्‍या भी डाप्‍लर प्रभाव के आधार पर की जा सकती है।
  • डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करके कृत्रीम उपग्रहों के वेगो की माप की जा सकती है

हम आशा करते है आपने डाप्‍लर प्रभाव को अच्छे से समझा है तथा अब आप डाप्‍लर प्रभाव से भलिभांति परिचित हो गये है अगर आपकेा हमारा ये article अच्‍छा लगा है please अपने दोस्‍तो के साथ share जरूर करें ।

धन्‍यवाद।

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Filed Under: प्रतियोगी परीक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फिजिक्स

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