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Jupiter In Hindi |बृहस्पति ग्रह

April 6, 2022 by admin Leave a Comment

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jupiter in hindi

Jupiter In Hindi | बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह हमारे सौरमंडल में उपस्थित सभी ग्रहों की तुलना आकर में सबसे बड़ा और पांचवा ग्रह है यह ग्रह गैसीय आवरण से घिरा हुआ रहता है इसलिए इसे गैसीय पिण्ड भी कहा जाता है बृहस्पति ग्रह हमारी पृथ्वी की ओर आने वाले कई विनाशकारी उल्का पिण्डों ओर धूमकेतुओं से हमारी धरती को विनाशकारी हमलों से बचाता है यह एक तरह से ‘वैक्यूम क्लीनर’ की तरह कार्य करता है बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण अत्यधिक होने के कारण यह धूमकेतु और उल्का पिंडों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है

आज हम लोग पृथ्वी पर जो सुरक्षित जीवन जी रहे हैं वो सिर्फ बृहस्पति ग्रह के कारण ही है इसी के कारण ही हम पृथ्वी वासी इन विनाशकारी हमलों से बचते आ रहे हैं। यह कई विनाशकारी छोटे छोटे उल्कापिंड और कई प्रकार के हानिकारक धूमकेतुओं को हमारी पृथ्वी तक पहुंचने से बचाता है इसे हम सौरमंडल का सुरक्षा कवच भी कहते हैं। इस ग्रह पर विभिन्न प्रकार की गैसें पाई जाती है जो कि बृहस्पति ग्रह यानी जूपिटर को ढंके हुए रहती हैं यहां के मौसम में अभी तक कोई बदलाव नहीं देखा गया है।

बृहस्पति की खोज सन् 1610 मे इटली के महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैली की थी इन्होंने अपनी दूरबीन से सबसे पहले इस ग्रह को देखा

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बृहस्पति ग्रह की बनावट उपग्रह और रूपरेखा

यह एक बहुत ही बड़ा और विशालकाय ग्रह है इसे हम पृथ्वी से टेलीस्कोप की मदद से नग्न आंखों से भी देखा जा सकता है यदि इसके समक्ष 1300 पृथ्वी रख दी जाएं तो वो इस ग्रह में समा जाएंगी इस ग्रह की पहचान इसमें उपस्थित एक लाल धब्बा जिसे हम रेड स्पॉट कहते हैं जो बृहस्पति कई सदियो चल रहा तूफान है अगर इसके आकार की बात की जाए तो यह इस रेड स्पॉट मे हमारी पृथ्वी समा सकती है इस तूफान की स्पीड 425km/h है अभी तक इस तूफान की स्पीड मे कोई बदलाव नही देखा गया है इसकी स्पीड कम न होने का कारण बृहस्पति पर कोई ठोस सतह का मौजूद ना होना है और इस ग्रह का वायुमंडल बहुत गर्म होता है जो इसमे चल रहे तूफानो और चक्रवातो को और तेज करता रहता है

इसके आसपास कई प्रकार की रंगीन पट्टियां जो कि लाल , भूरे , पीले , सतरंगी की दिखाई देती हैं

वतावरण

वैज्ञानिकों के मुताबिक यहाँ पर हमेशा तेज हवाएं सदा ही चलती रहती है जो कि करीब 350 सालों से चलती आ रहीं हैं यहां तूफान हमेशा 300km/h से लेकर 600km/h की रफ्तार से चलते रहते हैं ऐसा इसके चारों ओर मौजूद हवाओं के Clockwise और Anticlockwise चलने के कारण होता है ये अपने आसपास मौजूद इन हवाओं को ऑब्जर्व कर लेता है जिसके कारण ये तूफान चलता ही रहता है वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि ये तेज हवाएं इस रेड स्पॉट को मिलना बंद हो जाएं तो ये तूफान भी आने अपने आप बंद हो जाएंगे।

बृहस्पति ग्रह को हमारी पृथ्वी का एक पूरा चक्कर लगाने में 12 साल लग जाते हैं यहाँ का एक दिन करीब 10 घण्टे में ही समाप्त हो जाता है यहां पर 87% हाइड्रोजन , 13% हीलियम और बहुत ही कम मात्रा में अमोनिया , हाइड्रोजन सल्फाइड , और मीथेन , एथेन गैसें पायीं जाती हैं इस ग्रह का आयतन पृथ्वी के आयतन से 1317 गुना ज्यादा है बृहस्पति पर कोई ठोस स्तर मौजूद नही है यह एक गैस का गोला है इस पर गैस के आकर मे बहुत बड़े बड़े बदल है जो अमोनिया , हाइड्रोसल्फाइड ,हाइड्रोक्साइड से बने हुवे होते है

77,83,40821 km दूरी पर स्थित है इस ग्रह को सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में 11 साल और 317 दिन लगते हैं और यह अपने अक्ष में घूमने के लिए 9 घण्टे 56 मिनट लेता है बृहस्पति ग्रह का व्यास 11 लाख 42 हजार 984 किलोमीटर है यह सौलर सिस्टम का सबसे बड़ा प्लेनेट है इसका आकार हमारी पृथ्वी से लगभग 318 गुना ज्यादा  है तथा इस ग्रह का वजन लगभग 14 लाख करोड़ टन है।

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इस ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल हमारी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से लगभग ढाई गुना अधिक है आमतौर पर इस ग्रह को गैसीय जोन भी कहा जाता है इस ग्रह की सतह का तापमान इतना कम होता है कि यहां पर रुक पाना बहुत ही मुश्किल है

इसका तापमान -145℃ तक होता है जबकि इसके कोर यानी सेंटर का तापमान लगभग 24000℃ है जो हमारे सूर्य की तुलना में बहुत ही ज्यादा है 

इस ग्रह की त्रिज्या लगभग 69,911 km जबकि धरती की त्रिज्या 6371 km तक है यह ग्रह अपने कक्ष से 3.12° डिग्री पर झुका हुआ प्रतीत होता है यदि हम इस ग्रह पर 400km/h से इस ग्रह की ओर यात्रा करना चाहते हैं तो हम खुद को एक बहुत बड़े 25000 मील गहरे लिक्विड मेटालिक हाइड्रोजन के विशाल महासागर में पाते हैं।

इस ग्रह की एक और खासियत यह है कि यदि किसी व्यक्ति का वजन 50kg है तो वह अपना वजन बृहस्पति ग्रह पर 120kg का महसूस करेगा। बृहस्पति ग्रह के अपने कुल लगभाग 79 उपग्रह हैं जिनमे से 56 उपग्रहों का नामकरण हो चुका है परन्तु 26 उपग्रहों ऐसे हैं जिनका वैज्ञानिकों द्वारा कोई नाम नहीं दिया गया है

उपग्रह

अभी हाल ही में 2011 में कुछ और उपग्रह खोजें हैं जिन्हें अभी तक कोई नाम नहीं दिया है बृहस्पति ग्रह के चार बड़े उपग्रह है गैनिमेड , कलिस्टो , यूरोपा , आयो जिन्हें गैलीलियो 1610 में खोजा था बृहस्पति के अब तक 79 को खोजा जा चुका है जिसमे 53 का नामकरण किया जा चुका है

बृहस्पति ग्रह की जाँच पड़ताल

बृहस्पति ग्रह पर सबसे पहले जाने वाला अंतरिक्ष यान पायनियर 10 और पायनियर 11 को सन 1973 और 1974 में भेजा गया था ये मानव कृत यान थे इन्होंने वहां की तस्वीरें और वहां पर बृहस्पति ग्रह के चारों ओर स्थित हानिकारक विकिरण वाली बेल्ट के होने की जानकारी दी और साथ ही वहां के ध्रुवीय क्षेत्रों पर उपस्थित रंगबिरंगें गहरे लाल धब्बों के बारे में पता चला तथा इसके बाद सन 1979 में वॉयेजर 1 और 2 को भेजा गया इसके माध्यम से वहां पर मौजूद उपग्रहों के दृश्यों और उनके विस्तृत मानचित्रों को तैयार किया इसके बाद 1992 में यूलेसिस , 2000 में कैसिनी , 2007 में न्यू हॉराइजन्स को भी भेजा गया इसके माध्यम से बृहस्पति ग्रह की रिंगों का पता चला तथा वहां की जलवायु और तूफानी ज्वालामुखियों के बारे में पता लगाया।

अंतरिक्ष यान

बृहस्पति ग्रह के बारे में और ज्यादा जानकारी पता लगाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद नासा के द्वारा एक जूनो नामके अंतरिक्ष यान को 5 अगस्त 2011 को छोड़ा गया था जो 2 लाख km/h से दूरी तय करते हुए ग्रह की ओर बढ़ेगा

इस अंतरिक्ष यान की औसत गति 38 हजार km/h है लेकिन इसके करीब पहुँचकर इसकी रफ्तार करीब 2 लाख 66 हजार km/h हो जाएगी इस यान का नाम जूनो यूनान की ग्रीस की एक देवी के नाम पर रखा गया है जिसे जूपीटर की पत्नी माना जाता है

ग्रीक कथाओं के अनुसार ज्यूपिटर नामका देवता स्वयं को बादलों से ढंककर रखता है ताकि वह अपनी गलती और शरारतों को छुपा कर रख सके कुछ लोगों का मानना है कि ज्यूपिटर की पत्नी जूनो को ही ज्यूपिटर के बादलों के आरपार देखने की शक्ति प्राप्त है ठीक इसीप्रकार बृहस्पति ग्रह के आरपार देखने का काम यह जूनो नामका यह अंतरिक्ष यान करेगा

वैज्ञानिकों का मानना जब यह यान 5 जुलाई 2016 को बृहस्पति ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा तो यह उसके आरपार देख पाएंगे और हम जूपिटर के बारे में काफी हद तक महत्वपूर्ण जानकारी जुटा पाएंगे उतनी ही तेजी से हम पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में अपने सामान्य ज्ञान को बड़ा सकते हैं और वैज्ञानिकों ने इसकी ऐतिहासिक यात्रा का डी एन ए टेस्ट किया है और उन्हें यकीन है कि यह जूनो यान हमें अंतरिक्ष की गहराईयों के बारे में जानकारी देगा।

वैसे जूपिटर पर अपनी कोई Surface यानी जमीन नहीं है यह मूलरूप से गैस से बना हुआ ग्रह है इसका कोर चट्टानों से बना हुआ है ओर भी कई प्रकार की तमाम जानकारी यह जूनो नामका यान हमें और हमारे बच्चों को उपलब्ध करवाएगा।

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Filed Under: Space, ब्रह्मांड Tagged With: solar system

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